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कर्रेगुट्टा की चोटी पर लहराया तिरंगा: : नक्सलवाद के गढ़ में सुरक्षा बलों की दस्तक, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

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Faizan Ashraf

Updated At: 01 May 2025 at 07:17 AM

छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर तिरंगे की धमक अब एक नए इतिहास की आहट है। बस्तर के सबसे कठिन और दुर्गम इलाकों में से एक इस क्षेत्र में जब सुरक्षा बलों ने आठ दिन तक चले ऑपरेशन के बाद कब्जा जमाया, तो यह सिर्फ एक रणनीतिक जीत नहीं थी — यह उन हजारों लोगों की उम्मीदों की लौ थी, जो सालों से नक्सल भय की छाया में जीते आए हैं।

कर्रेगुट्टा की पांच हज़ार फीट ऊंची पहाड़ी, जो अब तक नक्सलियों के अड्डे के रूप में पहचानी जाती थी, अब सुरक्षा बलों की उपस्थिति से नई सुबह देख रही है। हेलीकॉप्टर से उतरे सैकड़ों जवानों ने जैसे ही चोटी पर मोर्चा संभाला, आसमान में लहराता तिरंगा पूरे क्षेत्र को यह संदेश दे गया — अब डर नहीं, अब विकास होगा।

इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, कोबरा, एसटीएफ, डीआरजी और जिला पुलिस बल की संयुक्त ताकत शामिल रही। घने जंगल, पत्थरीली चढ़ाइयों और जोखिम भरे रास्तों को पार करते हुए फोर्स ने वो मुकाम हासिल किया, जिसकी कल्पना कुछ समय पहले तक भी मुश्किल थी।

हिड़मा की भागने की चर्चा से नक्सल मोर्चे पर हलचल

ऑपरेशन की कामयाबी के साथ-साथ सबसे बड़ी सुर्खी बनी हिड़मा — वही खूंखार नक्सली जिसकी तलाश में बरसों से न जाने कितने ऑपरेशन चलाए गए। सूत्रों की मानें, तो कर्रेगुट्टा पर दबाव बढ़ते ही हिड़मा तेलंगाना की ओर भाग खड़ा हुआ। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस चर्चा ने नक्सली नेटवर्क में खलबली जरूर मचा दी है।

पहली बार इस इलाके में स्थायी मौजूदगी की तैयारी

यह पहली बार है जब कर्रेगुट्टा क्षेत्र में इतनी संख्या में फोर्स की तैनाती हुई है। अस्थायी कैंप पहले ही तैयार किया जा चुका है और अब सूत्रों का कहना है कि यहां स्थायी चौकी स्थापित करने की योजना भी तेज़ी से आगे बढ़ रही है। ये चौकी आगे आने वाले अभियानों की रीढ़ बन सकती है।

जो इलाके अब तक खामोशी और डर के साए में थे, वहां आज उम्मीदें बोल रही हैं। पास के गांवों से खबर आ रही है कि लोग राहत महसूस कर रहे हैं। स्कूलों में रौनक लौट रही है, खेतों में किसान पहले से ज़्यादा निश्चिंत होकर काम पर जा रहे हैं।

ग्रामीणों की मानें, तो ये सिर्फ एक सैन्य ऑपरेशन नहीं था — ये उनके जीवन में एक नया मोड़ था, जो शांति और विकास की ओर ले जा रहा है। कुछ बुजुर्गों ने तो कहा कि “अब पहली बार ऐसा लगता है कि हमारा इलाका भी भारत का ही हिस्सा है।”

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