UP: : अब 'एक तिथि, एक त्योहार' का नियम किया जाएगा लागू

Faizan Ashraf
Updated At: 01 Apr 2025 at 07:56 AM
"UP Implements 'One Date, One Festival' Rule for Unified Celebrations"
उत्तर प्रदेश में अब 'एक तिथि, एक त्योहार' का नियम लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है। इसके अनुसार, पूरे प्रदेश में त्योहारों और व्रतों की तिथि बनारस से प्रकाशित पंचांग के आधार पर निर्धारित होगी।
प्रदेश के विभिन्न पंचांगों में एकरूपता लाने के लिए कार्य शुरू हो चुका है। 2026 में पूरे प्रदेश के लिए एकीकृत पंचांग प्रकाशित किया जाएगा, जिसे नवसंवत्सर पर जनता को समर्पित किया जाएगा। इस कदम से व्रत, पर्व और अवकाश के निर्धारण में उत्पन्न होने वाले भेद को समाप्त किया जाएगा। सात अप्रैल को इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार, इस नए पंचांग को तैयार करने के लिए प्रदेश के प्रमुख पंचांगकारों की एक समिति बनाई गई है। यह समिति कालगणना, तिथियों और पर्वों का सटीक निर्धारण कर 'एक तिथि, एक त्योहार' सिद्धांत के आधार पर पंचांग तैयार करेगी।
हाल ही में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित ज्योतिष सम्मेलन में पंचांगकारों ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। 2026 में नवसंवत्सर के अवसर पर इस पंचांग का प्रकाशन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी अन्नपूर्णा मठ मंदिर को सौंपी गई है। यह पहली बार होगा जब पूरे प्रदेश में त्योहारों की तिथियों को लेकर मतभेद समाप्त हो जाएगा। प्रकाशित पंचांग संवत 2083 (2026-27) के लिए लागू होगा।
काशी में पहले ही विभिन्न पंचांगों के बीच समन्वय स्थापित कर लिया गया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय, काशी विद्वत परिषद और प्रमुख पंचांगकारों के सहयोग से इस प्रयास को सफल बनाया गया। इसमें बीएचयू का विश्वपंचांग, ऋषिकेश पंचांग, महावीर, गणेश आपा, आदित्य और ठाकुर प्रसाद पंचांग सम्मिलित हैं। तीन वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद यह एकरूपता संभव हुई है।
अब प्रदेश में त्योहारों की तिथियों में कोई भिन्नता नहीं रहेगी। प्रमुख त्योहार जैसे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवरात्र, रामनवमी, अक्षय तृतीया, गंगा दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, पितृपक्ष, महालया, विजयादशमी, दीपावली, अन्नकूट, नरक चतुर्दशी, भैया दूज, धनतेरस, कार्तिक एकादशी, देव दीपावली, शरद पूर्णिमा, सूर्य षष्ठी, खिचड़ी और होली सभी के लिए एक ही तिथि मान्य होगी।
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय पांडेय के अनुसार, पंचांगों की एकरूपता से समाज में व्याप्त भ्रम समाप्त होगा। त्योहारों के निर्धारण में केवल उदया तिथि ही महत्वपूर्ण नहीं होती, बल्कि मध्याह्नव्यापिनी, प्रदोषव्यापिनी और अर्द्धरात्रि जैसे विभिन्न कालखंडों का भी विशेष महत्व होता है।
यह कदम प्रदेश में सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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