एआई चैटबॉट बार्ड की गलती से गूगल को हुआ अरबों का नुकसान, आखिर कैसे काम करता है एआई टूल और चैटबॉट?

admin
Updated At: 09 Feb 2023 at 09:46 PM
गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट को बुधवार को 120 अरब डॉलर यानी करीब 991 हजार 560 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। गूगल को इतना नुकसान कंपनी के अपने एआई चैटबॉट बार्ड की एक गलत जानकारी की वजह से उठाना पड़ा है। दरअसल, कंपनी के शेयरों में बुधवार को 8 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट बार्ड के लिए प्रचार सामग्री में गलत जानकारी होने की रिपोर्ट के बाद देखी गई है। अब यहां सवाल यह उठता है कि दुनियाभर का डाटा होने के बाद भी एआई चैटबॉट ऐसी गलती कैसे कर सकते हैं। यदि आप भी इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं तो यह रिपोर्ट आपके लिए है। इस रिपोर्ट में हम आपको आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या होता के बारे में बताएंगे। साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एआई चैटबॉट आखिर काम कैसे करते हैं कि भी जानकारी देंगे। और समझेंगे की बार्ड और चैटजीपीटी जैसे चैटबॉट्स पर आंख बंद करके भरोसा किया जा सकता है या नहीं। चलिए जानते हैं। सबसे पहले यह जान लेते हैं कि बार्ड ने आखिर कौन-से सवाल का गलत जवाब दिया, जिससे कंपनी को अरबों का नुकसान हो गया। दरअसल, एक विज्ञापन में बार्ड के सामने एक शख्स ने सवाल किया, "जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप की कौन सी नई खोजों के बारे में मैं अपने 9 साल के बच्चे को बता सकता हूं?" इसके बाद बार्ड जल्दी से तीन उत्तर देता है। बार्ड पहले दो उत्तर सही देता है, लेकिन इसकी आखिरी प्रतिक्रिया गलत थी।बार्ड ने लिखा कि टेलीस्कोप ने हमारे सौर मंडल के बाहर किसी ग्रह की पहली तस्वीरें लीं। जबकि नासा के रिकॉर्ड के अनुसार, इन एक्सोप्लैनेट्स की पहली तस्वीरें यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के बहुत बड़े टेलीस्कोप द्वारा ली गई थीं। यानी बार्ड का जवाब सटीक नहीं था और इस घटना के बाद अल्फाबेट के शेयरों में गिरावट आई।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?
पहले ये समझने की कोशिश करते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आखिर किस चिड़िया का नाम है, जिसकी आजकल खूब चर्चाएं हो रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता भी कहा जाता है और सबसे आसान शब्द में इसे एआई के रूप में जाना जाता है, की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। एआई का अर्थ है एक मशीन या डिवाइस या सॉफ्टवेयर में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना।एआई को कंप्यूटर साइंस का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है। कहा जाता है कि यदि एआई को पूरा विकसित कर लिया जाए तो मशीन इंसानों की तरह सोच सकेंगी और संवेदनाओं तक को महसूस कर सकेंगी। साफ शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी किसी मशीन को इतना डेवलप कर देना कि वह खुद से ही निर्णय ले कर काम कर सके। उसे कोई भी कमांड देने की जरूरत ही न हो।
क्या होता है एआई चैटबॉट?
आजकल एआई चैटबॉट का नाम भी खूब लिया जा रहा है। ओपनएआई के एआई चैटबॉट ChatGPT के बाद गूगल ने भी अपने एआई चैटबॉट BARD की घोषणा कर दी है। चैटबॉट्स शब्द का अर्थ है, चैट+बॉट। चैट का मतलब होता है बातचीत और बॉट का मतलब है रोबोट। दरअसल, एआई चैटबॉट्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ऐसे टूल या रोबोट होते हैं जिनसे लोग चैट कर सकते हैं। यानी आप इनको सवाल लिखकर पूछते हैं और यह जवाब भी लिखित रूप में ही देते हैं।यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे हम व्हाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया पर किसी से चैट कर रहे हों। यहां फर्क इतना है कि जवाब एआई वाला सॉफ्टवेयर या एप देता है। इसे आसान भाषा में समझें तो कंपनियां किसी एप को इतना ज्यादा डाटा और जानकारियों से लैस कर देती हैं, जो कि उन्हें हम सवाल का जवाब देने में मदद करते हैं। यानी जो भी जानकारी आप इन चैटबॉट से मांगते हैं वो पहले से इसमें डाली जाती हैं।
क्या गलती कर सकता है एआई चैटबॉट?
इसका जवाब है हां। शुरुआत में जब चैटजीपीटी से यूजर्स सवाल कर रहे थे तो यहां भी इस एआई टूल ने उनका गलत जवाब दिया था। यह पहले से मौजूद डाटा के आधार पर सवालों के जवाब देता है और उत्तर लगभग सटीक रहते हैं। एआई चैटबॉट्स, मशीन लर्निंग और डाटा एल्गोरिदम पर काम करते हैं, ऐसे में गलती की संभावनाएं काफी कम होती हैं, लेकिन गलतियां हो सकती हैं।
क्या चैटबॉट पर भरोसा किया जा सकता है?
फिलहाल नहीं। एआई अभी अपने शुरुआती फेज में है और इतना डेवलप नहीं हुआ है कि इसपर आंख बंद करके भरोसा किया जा सके। कई टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि हम अभी एआई के बारे में बहुत थोड़ा जान पाएं हैं।अभी हमें इस पर बहुत काम करने की जरूरत है। यानी चैटबॉट्स में गलती की संभावनाएं भी काफी ज्यादा हैं। ऐसे में चैटबॉट्स द्वारा दिए गए जवाब के बाद आपको खुद से यह तय करना होगा कि आप जवाब से कितने संतुष्ट हैं।
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