जूदेव बने जाते है, यह हर दौर ने देखा......., अब कोटा के सियासी समर में खून पसीने से खुद को साबित करने की राह में प्रबल

admin
Updated At: 11 Oct 2023 at 04:54 PM
समीर इरफ़ान,जितेंद्र सिंह,
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा
राजनीती की एबीसीडी से शुरुआत कर प्रदेश की राजनीति की सिरमौर बनने तक का प्रबल प्रताप सिंह जूदेव का सफऱ आसान नहीं है,इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत तपस्या की उन्होंने अपने पिता स्व दिलीप सिंह जूदेव के निधन के वाद राजनीति का अल्फाबेट सीखा और सीखते सीखते उसमें अब महारथ हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ चुके है । अब भारतीय जनता पार्टी ने उनको छत्तीसगढ़ के कोटा विधानसभा सें टिकट देकर दांव लगाया है ।
प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने अपनी कर्मठता, मेहनत , सोंच और सरल व्यवहार तथा कुछ करने के जूनून ने राजनीति में शून्य सें शिखर की ओर सफऱ जारी रखा है। उनका यह सफर आसान नहीं रहा बल्कि उन्होंने इसके लिए कठिन मेहनत और तपस्या की तब जाकर आज एक मुकाम पर पर पहुचे है।
जन जन के प्रिय स्व दिलीप सिंह जूदेव को भी अपने आरंभिक दौर में संघर्ष करना पडा था और उन्होंने संघर्ष पथ पर चलते हुए राजनीति की ऊंचाई को छुआ था। कमोवेश प्रबल भी पिता और अपने ज्येष्ठ भाई के देहांत के बाद संघर्ष के अग्निपथ पर चलते गए कुछ सीधा कुछ टेढ़ा मगर उन्होंने सफऱ जारी रखा, चलते गए एक अनजाने सफऱ में मंजिल की तलाश में राजकुंवर ने कभी अपने पाँव के छाले तक नहीं देखें। अनवरत उनका सफऱ जारी रहा , उन्होंने कभी भी दिन को दिन नहीं रात को रात नहीं समझा बस निरंतर कर्तव्य पथ पर बढ़ते ही गए।
पिछले दस साल सें वे निरंतर भाजपा को मजबूत करने के लिए काम कर रहे राजनीति के इस पड़ाव में पहुंचने तक का सफऱ दुःखों सें भरा हुआ है। उनकी जिंदगी अमेरिका में बेहतर चल रहीं थी कि अचानक उनके बड़े भाई शत्रुन्जय प्रताप सिंह का देहांत हो गया है। आनन फानन में वे अमेरिका सें जशपुर आ गए , वे खुद हतप्रभ थे कि ये क्या हो गया चूँकि वे अमेरिका में रहे तो उनकी प्रदेश में अधिक लोगों सें जान पहचान नहीं थी,सीमित लोगों के बीच सें निकल कर आगे बढ़ ही रहे थे कि दुबारा एक तूफान उनके जीवन में आया जो उन्हें झकझोर दिया उनके पिता दिलीप सिंह जूदेव का निधन हो गया।
दिलीप सिंह जूदेव बड़ी हस्ती थे भाजपा के, जिन्होंने अपने खून पसीने सें सींच कर भाजपा को वटवृक्ष बनाने का काम किया, धर्मान्तरण के विरुद्ध आवाज़ बुलंद रखी, धर्मान्तरित आदिवासी लोगों को वापस मूल धर्म में लाने के लिए ऑपरेशन घर वापसी चलाया । उन्हें इसी वज़ह सें हिन्दू कुल तिलक और ऑपरेशन घर वापसी का महानायक कहा गया। उनकी जिंदादिली और याददाश्त ने उनकी अलग पहचान बनाई, उनके फैन छोटे बड़े सें लेकर सभी थे। देश दुनिया में उनका एक अलग पहचान था। वे हमेशा मिलिट्री कलर वाली हरी ड्रेस पहनते थे। संसद में भी उनकी एक अलग पहचान थी। लेकिन अपने पुत्र के असमय काल कवलित होने पर उन्हें गहरा सदमा पहुँचा और साल भर के भीतर लोगों के कुमार साहब भी सबको छोड़ कर इस दुनिया से विदा हो गए।
यही वह समय था ज़ब जिम्मेदारियों का बोझ उन पर आ गया , लेकिन उनके छोटे भाई युद्धवीर सिंह जूदेव इस समय राजनीति में सक्रिय थे। वे चन्द्रपुर सें दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे । इस गहरे समय में वे युद्धवीर के सानिध्य और मार्गदर्शन में राजनीति के पायदान चढ़ रहे थे और उन्हें नगर पंचायत फिर जिला पंचायत का उपाध्यक्ष बनाकर पिता के अधूरे सपनों को आगे बढ़ाने और राजनीति के कलाकौशल सीखने का मंच मिला जिसपर वे पूरी तल्लीनता सें आगे बढ़ गए।
उन्होंने अपने पिताजी के अधूरे काम को आगे बढ़ाने के लिए उनके नक़्शे कदम पर आगे बढ़ने का प्रयास किया, रास्ते बनाए और संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ते गए।इस दौरान प्रबल प्रताप सिंह ने धुंआधार दौरा किया, अपने पिता स्व दिलीप सिंह जूदेव के घर वापसी अभियान को मिशन मोड़ में करना आरम्भ किया। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में उन्होंने धर्मनंतरित आदिवासियों के पांव धोकर मूल धर्म में वापस कराया। इसके बाद सें उनका नाम बुलंदियों पर जाने लगा और उन्हें हिन्दुत्त्व का बड़ा चेहरा माना जाने लगा और इस क्रम में उन्हें ओड़िशा, झारखण्ड सें भी घर वापसी करने के लिए आमंत्रित किया जाने लगा, चाहे हिन्दुत्त्व की रैली हो या पदयात्रा सभी में प्रबल ने अपनी उपस्थिति देकर अपनी कर्मठता सिद्ध की और अपने मेहनत और अनुभव सें बहुत कम समय में उन्होंने एक मुकाम हासिल की। इसी बीच प्रबल के निःस्वार्थ भाव सें काम करने उन्हें संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ मुख्यालय नागपुर बुलाकर "हिन्दू स्वाभिमानी सूर्य" की उपाधि दी। यह अपने आप में प्रबल के लिए बड़ी उपलब्धि थी जो उन्होंने अपनी सोंच और मेहनत सें हासिल की।
प्रबल अब राजनीति में स्थापित हो चुके थे और वे अपने पिता के रास्ते अपने सहयोगियों की मदद सें आगे बढ़ रहे थे । इसी बीच भाजपा के युवा मोर्चा में उन्हें प्रदेश का पदाधिकारी बना कर काम करने का मौका पार्टी ने सौंपा तो उन्होंने ईब सें इंद्रावती तक युवाओं की फौज तैयार कर दी । अगली पारी में उन्हें भाजपा के प्रदेश मंत्री का पद सौंप कर नई जिम्मेदारी के साथ सरगुजा का प्रभारी बनाया और उन्हें संभाग में पार्टी को मजबूत करने का जिम्मेदारी सौंपा गया जिसे वे बखूबी निभा रहे है।
इसी बीच दो साल पहले 2021 में सबके लाडले छोटे भाई युद्धवीर सिंह जूदेव के आसामयिक मृत्यु ने झकझोर दिया। अब वे अकेले राजनीति में रह गए। पहले बड़े भाई फिर पिता और उसके बाद छोटे भाई के निधन से उनकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई और वे धीरे धीरे अपने कदम मंजिल की ओर बढ़ाते गए।
इस ऊंचाइयों पर विरले ही लोग इतने कम समय में पहुँच पाते हैं जहां प्रबल प्रताप सिंह जूदेव पहुंचे है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का अनुशरण करते, अपने पिताजी के बताये रास्ते पर चलते हुए उन्होंने नाम कमाया है और अपनी नई पहचान बनाई है। इसमें उनकी धर्मपत्नी डॉ हीना जूदेव ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया है।
आजादी के बाद से कांग्रेस का गढ माने जाने वाले कोटा विधानसभा को जीतने के लिए भाजपा इस बार ठोस रणनीति के तहत उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही थी, जिसमें प्रबल प्रताप सिंह जूदेव की योग्यता,कर्मठता और पार्टी को मजबूत बनाने के लिए बहाये गए खून पसीने और मेहनत को देखते हुए कोटा से चुनाव में उम्मीदवार बनाया है।हालांकि इस बार बदले राजनीतिक समीकरण में बीजेपी कमल खिलाने की उम्मीद में नजर आ रही है.अब यह समय के गर्भ में है कि इस सीट को फतह कर छत्तीसगढ़ के राजनीति के सिरमौर बनकर खुद को साबित करेंगे
कुमार प्रबल प्रताप सिंह जूदेव का संक्षिप्त जीवन का सफऱ
कुमार प्रबल प्रताप सिंह जूदेव
ने 11 अप्रैल 1979 को स्व दिलीप दिलीप सिंह जूदेव के विजय विहार पैलेस में जन्म लिया. उन्होंने प्राथमिक से लेकर हायरसेकेण्डरी तक की शिक्षा राजकुमार कॉलेज, रायपुर (छ.ग.) से की फिर उच्च शिक्षा के लिए पिटसबर्ग यूनिवर्सिटी, यू.एस.ए. चले गए जहाँ सें उन्होंने (मेटल साईंस )बी. टेक किया
जिसके बाद उन्होंने सीनियर क्वालिटी मेटल टेक्नो इंजीनियर, सुपीरियर इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, यू.एस.ए. में 8 साल काम किया
अचानक उनके घर में भाई और पिता के निधन के बाद जशपुर में ही रहना हुआ और वापस अपने काम में अमेरिका लौट नहीं सकें समय का तकाजा ऐसा रहा कि उन्हें अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए भारत में ही रहना पड़ा
जशपुर में रहते हुए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की जिसमें काम करते हुए उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा, छत्तीसगढ़ का
प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया इसी पद पर रहते हुए उन्होंने घर वापसी अभियान के प्रमुख के रूप में कार्य किया जिसमें उन्होंने छोटी छोटी उपलब्धियां हासिल की उन्हें विशेष आमंत्रित सदस्य अखिल भारतीय धर्म जागरण समन्वय विभाग बनाया फिर इसी क्रम में उन्हें उपाध्यक्ष, नगर पालिका परिषद, जशपुर, उपाध्यक्ष जिला पंचायत, जशपुर
अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ जिला पंचायत उपाध्यक्ष संघ छत्तीसगढ़,संरक्षक पहाड़ी कोरवा समाज महापंचायत, छत्तीसगढ़ संरक्षक जिला क्रिकेट संघ जशपुर, अध्यक्ष जिला शिक्षा स्थायी समिति, जशपुर चेयरमेन, छत्तीसगढ़ महिला फुटबाल एसोसिएशन, सदस्य, राज्य साक्षरता मिशन छत्तीसगढ़ का दायित्व भी मिला जिसका निर्वहन भी उन्होंने बखूबी निभाया








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