बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला; स्कूल में बच्चे को डांटना या पीटना अपराध नहीं

admin
Updated At: 04 Feb 2023 at 05:28 PM
बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत (गोवा चिल्ड्रन कोर्ट) के फैसले को पलटते हुए अहम व्यवस्था दी है। हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए किसी बच्चे को डांटना या उचित सजा देना अपराध नहीं होगा। बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने दो स्कूली बच्चों को कथित तौर पर डंडे से पीटने के मामले में एक प्राथमिक स्कूल शिक्षक को एक दिन के कारावास की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने के गोवा चिल्ड्रन कोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह व्यवस्था दी है। उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश जस्टिस भरत देशपांडे की पीठ ने फैसला सुनाया कि प्राथमिक विद्यालय में यह घटना काफी सामान्य है। एकल पीठ ने कहा कि छात्रों को अनुशासित करने और अच्छी आदतों को विकसित करने के लिए, शिक्षक तदनुसार कार्य करने और कभी-कभी थोड़ा कठोर होने के लिए बाध्य होता है।
स्कूल का उद्देश्य सिर्फ अकादमिक शिक्षण ही नहीं
फैसला सुनाते हुए जस्टिस भरत देशपांडे ने कहा कि बच्चों को न केवल अकादमिक शिक्षण के उद्देश्य से बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं को सीखने के लिए स्कूल में प्रवेश दिलाया जाता है जिसमें अनुशासन भी शामिल है। स्कूल का उद्देश्य केवल अकादमिक विषयों को पढ़ाना नहीं है, बल्कि ऐसे छात्रों को जीवन के सभी पहलुओं में तैयार करना है ताकि भविष्य में वह अच्छे व्यवहार और प्रकृति का व्यक्ति बने।
क्या है पूरा मामला?
2014 में, शिक्षक पर आरोप लगाया गया था कि उसने दो लड़कियों - पांच और आठ साल की बहनों को 'पीटा' था, क्योंकि छोटी लड़की अपनी पानी की बोतल खत्म करने के बाद दूसरे छात्र की बोतल से पानी पी रही थी। जब उसकी बहन दूसरी कक्षा से उसे देखने के लिए आई, तो उसने कथित तौर पर शिक्षक को छड़ी से पिटाई लगाते देखा था। माता-पिता की शिकायत के बाद शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और गोवा चिल्ड्रन कोर्ट ने उसे सजा सुनाई थी।
हाई कोर्ट ने कहा- शिक्षक हमारी शिक्षा प्रणाली की रीढ़
हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि एक बच्चा दूसरे बच्चे की बोतल से पानी पीता है जो निश्चित रूप से स्कूल के अनुशासन के खिलाफ है और अन्य छात्रों के माता-पिता से इस संबंध शिकायतें प्राप्त हो सकती हैं। इसलिए शिक्षक को कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा होगा। अदालत ने फैसला सुनाया कि कभी-कभी, यदि छात्र निर्देशों को समझने में सक्षम नहीं होते हैं और बार-बार ऐसी गलतियां कर रहे हैं, तो अपनी कक्षा में अनुशासन बनाए रखने के लिए उसे उचित बल का प्रयोग करना पड़ता है।उच्च न्यायालय ने यह भी पाया कि छड़ी का उपयोग किया गया था या नहीं, इस पर परस्पर विरोधी गवाहों के बयानों के कारण सच नहीं माना जा सकता है। पीठ ने कहा कि शिक्षकों को समाज में सबसे अधिक सम्मान दिया जाता है। वे हमारी शिक्षा प्रणाली की रीढ़ हैं। एक सभ्य समाज को एक सभ्य युवा पीढ़ी की जरूरत है जो एक-दूसरे का सम्मान करे।
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